ग़ाज़ियाबाद मुरादनगर श्मसान घाट पर नवनिर्मित गलियारे की छत ढहने से पचीस लोगों की दर्दनाक मौत आपराधिक लापरवाही भ्रष्टाचार और कुप्रशासन का परिणाम लगता है . इसे हादसा या दुर्घटना कहना ग़लत होगा .
हादसे से पीड़ित परिवारों और मुरादनगर स्थानीय जनता ने धरना , प्रदर्शन और सड़क जामकर अपना ग़ुस्सा प्रकट किया है.
ग़ाज़ियाबाद मुरादनगर पुलिस ने तीन लोगों- नगर निकाय की ईओ निहारिका सिंह, जेई सीपी सिंह, सुपरवाइजर आशीष को गिरफ़्तार कर लिया है. एफ आई आर में निम्नलिखित आरोपों में मुक़दमा क़ायम हुआ है.
गैर इरादतन हत्या , ग़बन और बदनीयती
आईपीसी धारा 304 : गैर इरादतन हत्या
आईपीसी धारा 337 : किसी व्यक्ति को खतरा पहुंचाने वाला कार्य करना
आईपीसी धारा 338 – किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाली चोट पहुंचाने वाला कार्य करना।
आईपीसी धारा 409 – धन का गबन व सरकारी कर्मचारी द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन
आईपीसी धारा 427 : बुरी मंशा, जिससे आर्थिक नुकसान हो।
ग़ाज़ियाबाद मुरादनगर श्मशान घाट में 55 लाख की लागत से गलियारे का निर्माण हुआ था .
करीब पंद्रह दिन पहले ही इसे जनता के लिए खोला गया था।
स्पष्ट है कि इसके निर्माण में घोर आपराधिक लापरवाही और भ्रष्टाचार हुआ .
उत्तर प्रदेश में नगरीय निकायों की केंद्रीयकृत व्यवस्था है और सारा नियंत्रण राजधानी लखनऊ से होता है .
इसलिए ग़ाज़ियाबाद मुरादनगर श्मसान घाट निर्माण में कथित भ्रष्टाचार और आपराधिक लापरवाही की ज़िम्मेदारी भी ऊपर तक आयेगी .
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तात्कालिक राहत सहायता का ऐलान किया है . लेकिन बेवजह अकाल मृत्यु का शिकार लोगों के परिजन इससे संतुष्ट नहीं है .
सरकार को ग़ाज़ियाबाद श्मसान घाट गलियारे में दबकर मारे गए इन परिवारों के भरण पोषण की पूरी ज़िम्मेदारी लेनी होगी . साथ ही आपराधिक लापरवाही और भ्रष्टाचार के लिए ज़िम्मेदार लोगों को यथाशीघ्र ऐसा दंड दिलवाना होगा , जिससे औरों को भी सबक़ मिले .
राम दत्त त्रिपाठी
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