नेपाल सीमा से सटे दुधवा के जंगली हाथी शुक्रवार की सुबह अपने तीन साथियों की करेंट लगने से हुई मौत के बाद काफ़ी बेचैन हो रहे हैं.
हाथियों के एक झुण्ड के शोर मचाने और गुस्से के डर से मृत हाथियों का पोस्ट मार्टम नहीं हो सका है.
वन अधिकारियों के अनुसार यह दुर्घटना लखीमपुर खीरी जिले में दुधवा जंगल की सीमा से बाहर एक गाँव में उस समय हुई जब तीन हाथियों के परिवार ने संभवत अपनी पीठ खुजाते समय बिजली का एक खम्भा उखाड डाला.
खम्भा गिरते ही बिजली के तार उनके ऊपर गिर गए और करेंट लगने से एक बच्चे समेत तीनों हाथियों की दर्दनाक मौत हो गयी.
दुर्घटना की जांच के लिए वन्य जंतु विभाग के सीनियर अधिकारी केके झा को मौके पर भेजा गया है.
कानूनी औपचारिकता पूरी करने के लिए जानवरों के डाक्टरों की एक टीम मौके पर पोस्ट मार्टम करने गई लेकिन वहां हाथियों का एक झुण्ड जोर से चिंघाड़ता हुआ आ गया. ख़तरा भांप डाकर वहाँ से चले आये. शोक से डूबे हाथी देर रात तक गाँव में चिंघाड रहे थे.
अब हाथियों के शांत होने का इंतज़ार किया जा रहा है.
हाथी एक सामाजिक जानवर है और वह झुण्ड में संयुक्त परिवार कि तरह रहता है. एक दूसरे के सुख दुःख बांटता है.
दुधवा रिजर्व फॉरेस्ट के निदेशक शैलेश प्रसाद ने घटना को बहुत दुखद बताते हुए कहा कि, ‘‘इन हाथियों की मौत से हम बहुत दुखी हैं. हम वह सभी जरुरी कदम उठाएंगे , जिनसे भविष्य में ऐसी दुर्घटना दुबारा न हो.’’
प्रसाद के मुताबिक इस समय दुधवा जंगल और आसपास करीब सत्तर जंगली हाथी हैं. ये हाथी भोजन और पानी की तलाश में नेपाल से इधर आ गए हैं.
दुधवा के आस पास गन्ने की खेती होती है. गन्ना हाथियों का प्रिय भोजन है और उसके लिए ये हाथी जंगल से सटे गाँवों में गन्ने के खेतों में चले जाते हैं.
अनुमान है कि यह तीन हाथियों का झुण्ड खेतों में गन्ना चरने गया था. मगर उन्हें क्या पता कि जिसे वह पेड समझकर अपनी पीठ खुजा रहे हैं उसके ऊपर गुजर रहे तारों में जानलेवा बिजली का करेंट दौडता है.
Published here-https://www.bbc.com/hindi/mobile/india/2011/07/110708_elephant_death_skj.shtml
Ram Dutt Tripathi Journalist & Legal Consultant