इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिंदू परिषद , बजरंग दल और शिवसेना के बीस बड़े नेताओं पर बाबरी मस्जिद तोड़ने के मामले में आपराधिक मुकदमा चलाने से जुड़ी पुनरीक्षण याचिका ख़ारिज कर दी है.
इस आदेश से कोर्ट ने इन नेताओं को फ़िलहाल बड़ी राहत दी है चाहे अभी केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) के पास सुप्रीम कोर्ट में अपील दाख़िल करने का विकल्प खुला है.
न्यायमूर्ति आलोक कुमार सिंह ने अपने फ़ैसले में कहा कि लखनऊ स्थित सीबीआई अदालत द्वारा चार मई सन 2001 को दिए गए फ़ैसले में हस्तक्षेप की ज़रुरत नहीं है, जिसके द्वारा आडवाणी एवं अन्य अभियुक्तों के खिलाफ़ मुक़दमा चलाने की कार्रवाई बंद कर दी गई थी.
एक मुलज़िम के वकील आईबीसिंह का कहना है कि इस आदेश से आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, बाल ठाकरे, कल्याण सिंह, अशोक सिंघल, विष्णु हरि डालमिया, आचार्य गिरिराज किशोर, विनय कटियार, उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा समेत सभी बीस नेताओं को राहत मिली है. इन पर बाबरी मस्जिद गिराने के षड्यंत्र का मुक़दमा जारी रखने के लिए सीबीआई हाईकोर्ट में अपील में गई थी.
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