उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) को जानकारी दी है कि दी है कि लव जिहाद यानी धर्म परिवर्तन (Love Jihad) रोक अध्यादेश के तहत मुज़फ़्फ़रनगर में दर्ज मुकदमे में आरोपी नदीम के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले है .
उत्तर प्रदेश पुलिस ने ने धर्म परिवर्तन निषेध अध्यादेश पास होने के ठीक दो दिन बाद 29 नवंबर को नदीम और उसके भाई सलमान के खिलाफ एक मुक़दमा दर्ज किया था.
लव जिहाद क़ानून की धारा तीन व पांच के अलावा आईपीसी की धाराओं के तहत नदीम के खिलाफ मुजफ्फरनगर में धमकी देने और आपराधिक षडयंत्र का मुकदमा हुआ था.
मुज्जफरनगर के अक्षय कुमार त्यागी ने यह एफआईआर दर्ज कराई थी. उनका आरोप है कि नदीम ने धर्म परिवर्तन कराने की नीयत से उसकी पत्नी से अवैध संबंध बनाए और शादी करने के बहाने उस पर धर्म परिवर्तन का दवाब डाल रहा था.
अक्षय ने अपनी रिपोर्ट ने आरोप लगाया था कि नदीम ने उसकी पत्नी को लालच में फँसाने के लिए एक स्मार्ट फ़ोन दिया था
नदीम का कहना था कि वह एक गरीब मजदूर है तथा कुछ पैसों के लेनदेन के कारण उसे झूठे मुकदमे में फंसाया गया है.
इससे पहले हाईकोर्ट ने नदीम की याचिका पर उसके ख़िलाफ़ कार्यवाही पर रोक लगा दी थी.
अभियोजन विभाग के संयुक्त निदेशक अवधेश पांडेय ने अदालत ने शपथ पत्र दाखिल कर बताया कि जाँच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि नदीम ने अक्षय कुमार की पत्नी पारुल का धर्म परिवर्तन करने की कोशिश अथवा उसके साथ अवैध सम्बंध बनाए. जाँच में इस बात के सबूत मिले हैं कि नदीम ने अक्षय कुमार को धमकाने और शांति भांग की कोशिश की और इस आरोप पर उसके ख़िलाफ़ अभियोग पत्र अदालत में दाखिल है.
नदीम के वकील सैयद फ़रमान अहमद नकवी ने पत्रकारों को बताया कि अदालत ने अगली सुनवाई पंद्रह जनवरी तक उसके ख़िलाफ़ किसी कार्यवाही पर रोक लगा दी है.
वकील नकवी ने कोर्ट में दलील दी थी कि जब केंद्र सरकार ने विवाह संबंधी कानून बना दिया है तो राज्य सरकार के पास इस प्रकार का अध्यादेश लाने की गुंजाइश नहीं बचती है.
लखनऊ 7 जनवरी. (मीडिया स्वराज़ डेस्क)
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