वर्दी में लुटेरा पुलिस गैंग गोरखपुर से गिरफ़्तार

उत्तर प्रदेश Uttar Pradesh के गोरखपुर में एक लुटेरा पुलिस गैंग पकड़ा गया है जो थाने से संचालित होता था और बाक़ायदे वर्दी में लूट Loot की घटना को अंजाम देता था. यह लुटेरा पुलिस गैंग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर Gorakhpur से  गिरफ़्तार किया गया. गिरफ़्तार लुटेरे पुलिस वाले इन दिनों पुरानी बस्ती थाने में तैनात थे. लूट की घटना में शामिल एक दरोग़ा और तीन  सिपाहियों को गिरफ़्तार करने के अलावा पुरानी  बस्ती थाने के सारे स्टाफ़ को निलम्बित कर दिया गया है. 

गोरखपुर जिले में  सराफा व्यापारियों से 35 लाख का सोना,चांदी और नकदी लूटने वाले  पुलिस  के  एक  सब इंस्पेक्टर और तीन सिपाहियों को गिरफ्तार  कर कर जेल भेज दिया गया। लूट के वक़्त ये चारों पुलिसवाले वर्दी में थे।

वर्दी में लुटेरा पुलिस गैंग

वर्दी में लुटेरा पुलिस गैंग, तीन गिरफ़्तार पुलिस वाले
लुटेरा पुलिस गैंग

गोरखपुर के एस एस पी जोगेन्दर सिंह ने बताया कि “लुटेरों का सरगना सब इंस्पेक्टर धर्मेंद्र यादव है।महराजगंज सर्राफा बाजार में रहने वाले बिल्डर दुर्गेश अग्रहरि के ज़रिए उसे सर्राफा बाजार में होने वाली खरीद-फरोख्त की जानकारी होती थी।उसके बाद यह लूट पर निकलते थे।दारोग़ा पर गैंगस्टर एक्ट और एन एस ए की भी कार्यवाही  होगी, ताकि दूसरे पुलिस वालों को चेतावनी मिल सके।”

बस्ती के एसपी हेमराज मीणा ने वर्दी में लुटेरा पुलिस गैंग मामले में पुरानी बस्ती थानाध्यक्ष समेत 12 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. लूटकांड में पुरानी बस्ती थाने में तैनात एसआई धर्मेंद्र यादव और 2 कांस्टेबल महेंद्र यादव व संतोष यादव तैनात थे. एसपी ने इन तीनों को बर्खास्त कर दिया है.

हेमराज मीना, पुलिस अधीक्षक बस्ती

महराजगंज के दो सराफा व्यापारी 20 जनवरी को  जेवरात और कैश लेकर   गोरखपुर से बस से लखनऊ जा रहे थे।इन्हें रास्ते मे पुलिस की वर्दी पहने पुलिस वालों  ने छानबीन के नाम से बस से उतारा और ऑटो से अगवा कर ले गए ।वे सराफा व्यापारियों से 35 लाख का सोना, चाँदी और कैश लूट कर फरार हो गए।सराफा व्यापारियों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी और बताया कि लुटेरे पुलिस की वर्दी पहनकर आये थे।

गोरखपुर पुलिस ने घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज से  लुटेरों की तस्वीर निकाली तो  पता चला कि वे असली पुलिस वाले थे।पता चला कि वर्दी में लुटेरा पुलिस गैंग बस्ती जिले की पुरानी बस्ती थाने में तैनात एस आई धर्मेंद्र यादव, और सिपाही  महेंद्र यादव और संतोष यादव हैं। 

गोरखपुर पुलिस ने तीनों पुलिस वालों को गिरफ्तार कर लिया तब इन्होंने एक और सिपाही के लूट में शामिल होने की जानकारी दी।पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया।चारों सिपाहियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

बस्ती के पुरानी बस्ती थाने के 8 और पुलिस वालों को ड्यूटी में लापरवाही के इल्ज़ाम में सस्पेंड कर दिया गया है।

गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में वर्दी में लुटेरा पुलिस गैंग के चारों पुलिसवालों ने कुबूल किया कि वो इसके पहले भी पुलिस की वर्दी में लूटपाट करते रहे हैं।

इन्होंने कुबूल किया कि 29 दिसम्बर को गोरखपुर के शाहपुर इलाके में इन्होंने एक सराफा व्यापारी से खुद को कस्टम वाला बात कर उन्होंने 4 किलो चांदी लूट ली थी।

थाना पुरानी बस्ती

लापरवाही में पुरानी बस्ती थानाध्यक्ष अवधेश राज सिंह समेत 9 पुलिसकर्मियों को भी निलम्बित कर दिया गया है. एसपी की जांच में थाने में तैनात थानाध्यक्ष समेत 9 पुलिसकर्मी दोषी पाए गए. जांच में सामने आया कि लूट में शामिल पुरानी बस्ती थाने में तैनात दरोगा धर्मेंद्र यादव, सिपाही महेंद्र यादव और संतोष यादव ड्यूटी से लापता हो गए. बिना बताए ड्यूटी पर तैनात दारोगा और सिपाही थाने से गोरखपुर पहुंच गए.

त्वरित टिप्पणी :

अपराधियों को पुलिस से बाहर करो

एक लुटेरा पुलिस गैंग तो पकड़ा गया, पर पता नहीं अभी और कितने गैंग सक्रिय हैं जो लूट, अपहरण, हत्या  और ब्लैक मेलिंग की घटनाओं को अंजाम देते हैं. 

यह मानी हुई बात है कि कोई भी संगठित अपराध बिना सम्बंधित एजेंसियों या फ़ोर्स के संरक्षण के नहीं  हो सकता. पर यहाँ तो संरक्षण नहीं पुलिस वाले स्वयं गैंग बनाकर अपराध कर रहे थे. 

कई दशक पहले इलाहाबाद  हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति  आनंद  नारायण मुल्ला ने पुलिस को संगठित अपराधियों का गिरोह कहा था. अब पुलिस अफ़सरों के पास सुपरविजन के तमाम नए इलेक्ट्रोनिक टूल्स हैं, जिनसे स्टाफ़ की लोकेशन वग़ैरह सब पता चलती रहती है.

इसके बावजूद बस्ती में तैनात ये पुलिस वाले गोरखपुर – लखनऊ हाइवे पर रोडवेज़ बस से यात्री उतारकर लूट कर रहे थे, यह दुस्साहस की घटना है. बिलकुल मुख्यमंत्री के गृह जनपद में यानी योगी आदित्यनाथ जी की नाक के नीचे. 

उत्तर प्रदेश पुलिस में दो लाख से अधिक संख्या में पुलिस के लोग हैं. इनमें  बहुतेरे बढ़िया  काम कर रहे हैं. लेकिन इस तरह के अपराधी पुलिस वालों को चिन्हित करके उन्हें फ़ोर्स से बाहर नहीं किया गया तो संगठित अपराध लूट, अपहरण, हत्या  और ब्लैक मेलिंग की घटनाएँ रुकने वाली नहीं. 

राम दत्त त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार 

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