नई दिल्ली
आईपी सिंह (भाजपा) ने कहा कि योगी की सरकार बने यूपी में अभी दो साल भी पूरे नहीं हुए। खेती अब आधुनिक हो गई है। क्या दो साल में इतना सारे पशु सड़क पर आ गए हैं। आज ट्रैक्टरों से खेती होने लगी और धीरे-धीरे भूषा की कीमत बढ़ी है। नीलगाय सबसे बड़ी समस्या है। इस तरह की वारदात पहले भी देश में होती थी। दो रुपए किलो बिकने वाला भूषा आज 15 रुपए से ज्यादा हो गया है। पूरे देश को इस पर विचार करना होगा कि इसका क्या समाधान होगा।
रामदत्त त्रिपाठी (वरिष्ठ पत्रकार) ने कहा कि अगर टैक्स लगाना था तो विधानसभा में इस पर चर्चा क्यों नहीं की गई। यह टैक्स लगने के बाद किसान और परेशान हो जाएंगे। वृद्धाआश्रम में घपला घोटाला है। गाय को अर्थव्यवस्था की धुरी बनानी चाहिए लेकिन इसे राजनीति की धुरी बनाया जा रहा है। गोशाला बनाया जाएगा तो भूषा कहां से आएगा। अगर सरकार इतना फिक्रमंद है तो ट्रैक्टरों पर बैन लगा दे तो लोग बैल से खेती करेंगे।
पुरुषोत्तम अग्रवाल (राजनीतिक विश्लेषक) ने कहा कि आधुनिकता की वजह से कई बदलाव आए हैं लेकिन इसे समस्या नहीं बताया जा सकता है। यूपी में सत्ता की राजनीति और इतने बड़े गोवंश के लिए कोई तरीका नहीं है। सरकार गो वंश परे सेस लगाकर तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। भाजपा की सरकार के पास अर्थव्यस्था का कोई अनुभव नहीं है। अरुणाचल प्रदेश मे मंत्री कहते हैं कि हम गाय खाते हैं और हमें कोई रोक नहीं सकता। सक्षम अर्थव्यवस्था में सेस नहीं लगना चाहिए। सेस उन चीजों पर लगना चाहिए जो सबकी जरूरत है।
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