बाबरी मस्जिद विध्वंस के पांच ‘सूत्रधार’

भारत में बाबरी मस्जिद का विध्वंस आजादी के बाद की सबसे अहम घटनाओं में से एक है, जिसमें देश के राजनीतिक और सामाजिक ताने बाने को झंझोर दिया.

इस घटना को बीस बरस गुजर गए लेकिन आज भी इस मुद्दे की गूंज भारत की राजनीति में सुनाई देती है.

नजर डालते हैं ऐसे पांच लोगों पर जिन पर इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम देने की जिम्मेदारी आती है.

लाल कृष्ण आडवाणी

सीबीआई की मूल चार्जशीट के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी नेता लाल कृष्ण आडवाणी अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद गिराने के ‘षड्यंत्र’ के मुख्य सूत्रधार हैं जो अक्टूबर 1990 में शुरू होकर दिसंबर 1992 तक चला बताया गया है.

अभियोजन पक्ष का तर्क है कि बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि ढांचे का विवाद काफी समय से चला आ रहा है, जो अदालत में लंबित है. हिंदुओं के अनुसार राम जन्मभूमि पर मीर बाकी ने मस्जिद का निर्माण किया था.

विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या, काशी और मथुरा के मंदिरों को मुक्त करने का अभियान चलाया और इसके अंतर्गत लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा की.

शिव सेना नेता बाल ठाकरे ने मुंबई के दादर में आडवाणी का स्वागत किया. उसी दिन लाल कृष्ण आडवाणी ने पंचवटी में घोषणा की थी कि बाबरी मस्जिद कभी भी मस्जिद नही रही और हिंदू संगठन प्रत्येक दशा में अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए दृढ संकल्प हैं.

ठाकरे इस कार्य में साथ देने का वादा किया.

चार्जशीट के अनुसार 1991 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने इस योजना मे सक्रिय साथ दिया.

पांच दिसंबर 1992 को अयोध्या मे भाजपा नेता विनय कटियार के घर पर एक गोपनीय बैठक हुई, जिसमें विवादित ढांचे को गिराने का अंतिम निर्णय लिया गया.

आडवाणी ने छह दिसंबर को कहा था, “आज कारसेवा का आखिरी दिन है. कारसेवक आज आखिरी बार कारसेवा करेंगे.”

जब उन्हें पता चला कि केन्द्रीय बल फैजाबाद से अयोध्या आ रहा है तब उन्होंने जनता से राष्ट्रीय राजमार्ग रोकने को कहा. अभियोजन पक्ष का यह भी कहना है कि आडवाणी ने कल्याण सिंह को फोन पर कहा कि वे विवादित ढांचा पूर्ण रूप से गिराए जाने तक अपना त्यागपत्र न दें.

आडवाणी ने राम कथा अकुंज के मंच से चिल्लाकर कहा कि “जो कार सेवक शहीद होने आए हैं, उन्हें शहीद होने दिया जाए.”

आडवाणी पर आरोप है कि उन्होंने यह भी कहा कि, “मंदिर बनाना है, मंदिर बनाकर जाएंगे. हिंदू राष्ट्र बनाएंगे.”

स्थानीय प्रशासन ने विवादित ढांचा गिराए जाने से रोकने का कोई प्रयास नही किया इसलिए अभियोजन के अनुसार तत्कालीन जिला जिला मजिस्ट्रेट आरएन श्रीवास्तव और पुलिस अधीक्षक डीबी राय इस ‘षड्यंत्र’ में शामिल थे. इनमें से राय का अब निधन हो चुका है.

लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के तहत आडवाणी पर फिलहाल बाबरी मस्जिद गिराने के षड्यंत्र में शामिल होने का पहला मुकदमा नही चल रहा है.

आडवाणी तथा उनके सात अन्य सहयोगियों पर रायबरेली की अदालत में केवल मुस्लिम समुदाय के खिलाफ विद्वेष भड़काने वाल भाषण देकर कारसेवकों को उकसाने का आरोप है, जिसके फलस्वरूप मस्जिद गिरा दी गई.

आडवाणी और उनके साथियों ने अदालत में सभी आरोपों से इनकार किया है.

कल्याण सिंह

कल्याण सिंह उन तेरह लोगों में हैं, जिन पर मूल चार्जशीट में मस्जिद गिराने के ‘षड्यंत्र’ में शामिल होने का आरोप है, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से अभी मुकदमा नही चल रहा है.

सीबीआई की मूल चार्जशीट के मुताबिक़ 1991 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कल्याण सिंह ने डॉ. मुरली मनोहर जोशी और अन्य नेताओं के साथ अयोध्या जाकर शपथ ली थी कि विवादित स्थान पर ही मंदिर का निर्माण होगा. उन्होंने नारा लगाया , “राम लला हम आए हैं, मंदिर यहीं बनाएंगे.”

केंद्र सरकार ने 195 कंपनी केन्द्रीय पैरा मिलिटरी फ़ोर्स कानून व्यवस्था में मदद के लिए भेजी, लेकिन भाजपा सरकार ने उसका उपयोग नही किया. पांच दिसंबर को उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव गृह ने केन्द्रीय बल का प्रयोग करने का सुझाव दिया, लेकिन कल्याण सिंह इससे सहमत नही हुए.

कल्याण सिंह ने मस्जिद की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में दिए गए आश्वासन का पालन नही किया, जबकि उन्होंने संविधान और देश के कानून की सुरक्षा की शपथ ली थी.

कल्याण सिंह घटना के समय अयोध्या में उपस्थित नही थे, फिर भी उन्हें षड्यंत्र में शामिल बताया गया.

चार्जशीट के अनुसार कल्याण सिंह ने छह दिसंबर के बाद अपने बयानों में स्वीकार किया कि गोली न चलाने का आदेश उन्होंने ही जारी किया था और उसी वजह से प्रशासन का कोई अधिकारी दोषी नही माना जाएगा.

कल्याण सिंह ने सभी आरोपों से इनकार किया है.

अशोक सिंघल

विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल अयोध्या के विवादित स्थल पर राम जन्म भूमि मंदिर निर्माण आंदोलन के प्रमुख स्तंभ रहे हैं.

चार्जशीट के अनुसार अशोक सिंघल 20 नवंबर 1992 को बाल ठाकरे से मिले और उन्हें कारसेवा में भाग लेने का निमंत्रण दिया.

चार दिसंबर 1992 को बाल ठाकरे ने शिव सैनिकों को अयोध्या जाने का आदेश दिया.

शिव सेना नेता जय भान सिंह पवैया ने अशोक सिंघल से चंबल घाटी में प्रशिक्षित मौत दस्ता तैनात करने के लिए कहा.

अशोक सिंघल ने यह भी कहा था कि छह दिसंबर की कारसेवा में मस्जिद के ऊपर मीर बाक़ी का शिलालेख हटाया जाएगा, क्योंकि यही अकेला चिन्ह मस्जिद के संबंध में है.

दूसरे दिन पांच दिसंबर को अशोक सिंघल ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था “जो भी मंदिर निर्माण में बाधा आए गी उसको हम दूर कर देंगे. कार सेवा केवल भजन कीर्तन के लिए नही है बल्कि मंदिर के निर्माण कार्य को प्रारम्भ करने के लिए है.”

चार्जशीट में अशोक सिंघल पर आरोप है कि वो छह दिसंबर को राम कथा कुंज पर बने मंच से अन्य अभियुक्तों के साथ- साथ कारसेवकों से नारा लगवा रहे थे कि “राम लला हम आए हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे. एक धक्का और दो बाबरी मस्जिद तोड़ दो.”

जब बाबरी मस्जिद ढहाई जा रही थी तो अभियुक्त हर्षित थे और मंच पर उपस्थित लोगों के साठ उत्साहित होकर मिठाई बांटी जा रही थी. अभियुक्तों के भाषण से उत्तेजित होकर पहले बाबरी मस्जिद ढहाई गई और उसी दिन अयोध्या में स्थित मुसलमानों के घरों को तोड़ा गया, जलाया गया, मस्जिदें और कब्रें तोडी गईं. इससे मुसलमानों में भय उत्पन्न हुआ और वे अयोध्या छोड़ जाने को बाध्य हुए.

रायबरेली में चल रहे केस नम्बर 198 के सभी अभियुक्तों, विशेषकर उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा पर ऐसे आरोप हैं. सभी अभियुक्त ने आरोपों से इनकार किया है.

विनय कटियार

विनय कटियार की पहचान विश्व हिंदू परिषद के सहयोगी संगठन बजरंग दल के नेता के रूप में रही है. वह अपने उग्र और विवादस्पद बयानों के लिए जाने जाते रहे हैं.

चार्जशीट के अनुसार 14 नवंबर 1992 को विनय कटियार ने अयोध्या में कहा कि बजरंग दल का आत्मघाती दस्ता कार सेवा करने को तैयार है, और छह दिसंबर को मौत दस्ता शिवाजी की रणनीति अपनाएगा.

विवादित मस्जिद गिरने से एक दिन पूर्व पांच दिसंबर को अयोध्या में विनय कटियार के घर पर एक गोपनीय बैठक हुई, जिसमे आडवाणी के अलावा शिव सेना नेता पवन पांडे मौजूद थे. इसी बैठक में विवादित ढांचे को गिराने का अंतिम निर्णय लिया गया.

चार्जशीट के अनुसार कटियार ने छह दिसंबर को अपने भाषण में कहा था, “हमारे बजरंगियों का उत्साह समुद्री तूफान से भी आगे बढ़ चुका है, जो एक नही तमाम बाबरी मस्जिदों को ध्वस्त कर देगा.”

मुरली मनोहर जोशी

मुरली मनोहर जोशी आडवाणी के बाद भारतीय जनता पार्टी के दूसरे बड़े नेता हैं जो राम मंदिर आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिसा लेते रहे हैं.

जोशी छह दिसंबर को विवादित परिसर में मौजूद थे. चार्जशीट के अनुसार मस्जिद का गुम्बद गिरने पर उमा भारती आडवाणी और डॉ. जोशी के गले मिल रही थीं.

मुरली मनोहर जोशी के बारे में अभियोजन पक्ष की ओर से कहा गया है कि वे और आडवाणी कार सेवा अभियान के लिए मथुरा और काशी होते हुए दिल्ली से अयोध्या के लिए चले.

इन सभी पर आरोप है कि 28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट से प्रतीकात्मक कारसेवा का निर्णय हो जाने के बाद भी इन लोगों ने पूरे प्रदेश में सांप्रदायिकता से ओतप्रोत भाषण दिए.

इन उत्तेजनात्मक भाषणों से धर्मनिरपेक्ष भारत में सांप्रदायिक जहर घोला गया.