देश की मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में अपना खोया जनाधार वापस पाने की कोशिश में लगातार नए नए प्रयोग कर रही है.
इसी कोशिश में अब पार्टी ने अपने एक और नेता पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह को विधान सभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंप दी है.
इससे पहले उमा भारती और कलराज मिश्र को उत्तर प्रदेश में पार्टी का खेवनहार बनाकर भेजा गया था.
लेकिन अब राजनाथ सिंह की नियुक्ति से भाजपा में यह भ्रम बढ़ गया है कि उत्तर प्रदेश पार्टी का वास्तव में नेता कौन है?
भाजपा के केन्द्रीय कार्यालय से ओम प्रकाश कोहली द्वारा भेजे गए एक पत्र में कहा गया, “राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी जी ने श्री राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के चुनाव की ओर विशेष ध्यान देने की जिम्मेदारी सौंपी है.’’
इसी एक लाइन से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश में बी जे पी का नया चुनाव प्रभारी बनाया गया है.
लेकिन पार्टी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक इन ख़बरों को ग़लत बताते हैं कि राजनाथ सिंह प्रभारी बनाए गए हैं.
श्री पाठक कहते हैं कि, “उत्तर प्रदेश में पहले से ही चुनाव अभियान समिति बनी है. उसके अध्यक्ष कलराज मिश्र हैं और राजनाथ सिंह उस समिति के सदस्य हैं.’’
श्री पाठक के अनुसार उत्तर प्रदेश एक बड़ा महत्वपूर्ण राज्य है. यहाँ विधान सभा में 403 सदस्य हैं. इसलिए राष्ट्रीय नेताओं को पहले भी इस तरह की ज़िम्मेदारी दी जाती रही है.
भाजपा नेताओं की चहल पहल
याद दिला दें कि इस समय सूर्य प्रताप शाही उत्तर प्रदेश बी जे पी के अध्यक्ष हैं और अध्यक्ष बनने के बाद से ही वो लगातार पूरे प्रदेश में तूफ़ानी दौरा कर रहे हैं.
बी जे पी के राष्ट्रीय महामंत्री और मध्य प्रदेश में पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर पहले से उत्तर प्रदेश के प्रभारी हैं. उनके साथ बिहार के राधा मोहन सिंह और छत्तीसगढ़ की करुणा शुक्ला सह प्रभारी हैं.
बी जे पी के राष्ट्रीय मंत्री को माया सरकार के खिलाफ़ घपलों और घोटालों का विवरण एकत्र करने का काम सौंपा गया है. पूर्व विधान सभाध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी को राज्य का ‘विज़न डॉक्यूमेंट’ बनाने का ज़िम्मा दिया गया है.
कलराज मिश्र औपचारिक तौर पर को उत्तर प्रदेश बी जे पी की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया. हाल ही में उमा भारती को बी जे पी में वापस लाकर उत्तर प्रदेश में सारा ध्यान केंद्रित करने और यहीं कैम्प करने को कहा गया था.
बी जे पी के उत्तर प्रदेश दफ़्तर में इसी ख़बर पर चर्चा रही कि फिर आख़िर राजनाथ सिंह को नये सिरे से उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी क्यों दी गई.
राजनाथ सिंह क्यों
ये सवाल जब कलराज मिश्र से किया गया तो उनका कहना था कि राजनाथ सिंह को प्रभारी नही बनाया गया है.
श्री मिश्र ने कहा, “बी जे पी कार्यकर्ताओं के दिमाग़ में बड़ी साफ़ बात है. मुझे चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया. उमा जी के बारे में बड़ा साफ़ तौर पर कहा गया है कि क्योंकि उत्तर प्रदेश में चुनाव जल्दी आने वाला है इसलिए उमा जी यू पी में भ्रमण करेंगी. राजनाथ सिंह क्योंकि ऑल इण्डिया प्रेसिडेंट रहे हैं तो स्वाभाविक रूप से उत्तर प्रदेश उनका क्षेत्र बना रहेगा.’’
मगर बात इतनी साधारण नही है जितनी कलराज मिश्र बता रहे हैं.
कई प्रेक्षकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में बी जे पी में भले ही राष्ट्रीय स्तर के अनेक नेता हों लेकिन व्यापक जनाधार वाले नेता केवल राजनाथ है.
बी जे पी मामलों के विशेष जानकार वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर पंकज कहते हैं कि, “उत्तर प्रदेश भाजपा के विश्वसनीय लीडर का मतलब है राजनाथ सिंह.”
मगर एक दूसरा तबक़ा सवाल पूछता है कि राजनाथ के मुख्यमंत्री और पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए ही यहां बी जे पी का जनाधार लगातार घटा है.
बी जे पी के सूत्र कहते हैं की राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय नेतृत्व पर दबाव डलवाकर यह घोषणा करवाई है ताकि पार्टी कलराज मिश्र को मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार न प्रोजेक्ट करे.
बी जे पी सूत्र यह भी कहते हैं कि राजनाथ सिंह को आगे लाने से यह संदेश भी जाएगा कि बी जे पी चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिए मायावती से गठबंधन नहीं करेगी.
मगर ज़्यादातर समीक्षकों ने लिखा है कि परस्पर विरोधी अनेक नेताओं को बागडौर सौंप कर बी जे पी नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भ्रम पैदा कर दिया है.
कई समीक्षकों ने इस मुहावरे का भी इस्तेमाल किया है ‘बहुते जोगी मठ उजाड़’.