हालांकि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व ने धमकी दी थी कि असंतुष्ट विधायकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.
लेकिन बावजूद इसके शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के लगभग दो दर्जन विधायकों ने बैठक की और कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार में सामाजिक संतुलन, योग्यता और वरिष्ठता की उपेक्षा की गई है इसलिए भारतीय जनता पार्टी के सभी मंत्रियों को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.
बीजेपी के विधायक भारत त्रिपाठी का कहना था,” जिस तरह से मायावती केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रही हैं, उसी तरह उत्तर प्रदेश में भी भारतीय जनता पार्टी को सरकार को बाहर से समर्थन देना चाहिए.”
इधर गठबंधन सरकार को समर्थन देनेवाले 15 निर्दलीय विधायकों ने भी मुख्यमंत्री मायावती को 25 अक्टूबर की समयसीमा निर्धारित की है और कहा कि यदि उन्हें सरकार में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला तो वे अपने अगले क़दम पर विचार करेंगे.
विस्तार से बवाल
बहुजन समाज पार्टी के नेतृत्ववाली गठबंधन सरकार को 216 विधायकों का समर्थन हासिल है जिसमें 16 निर्दलीय और अजित सिंह के लोक दल के आठ सदस्य शामिल हैं.
ख़बर है कि लोक दल के विधायकों में मंत्रिमंडल में शामिल न कि जाने को लेकर भारी असंतोष है और इस मुद्दे पर पार्टी लगभग टूट की कगार पर है.
ये सारी समस्याएँ तब शुरू हुईं जब बहुजन समाज पार्टी की नेता और मुख्यमंत्री मायावती ने मंत्रिमंडल विस्तार में 57 विधायकों को मंत्री बनाया था.
भारतीय जनता पार्टी, निर्दलीय और लोक दल के जिन विधायकों को शामिल नहीं किया गया, उनका आरोप है कि मंत्रिमंडल विस्तार में सामजिक संतुलन और वरिष्ठता की उपेक्षा की गई.
लेकिन मायावती के मंत्रियों की संख्या पहले से ही 79 है और इसमें अन्य लोगों को और शामिल किए दाने की संभावना कम लगती है.
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री वाजपेयी का दोदिवसीय दौरा राजनीतिक सरगर्मियों से भरा होगा. |