शुक्रवार को मौनी अमावस्या के अवसर पर इस बार के अर्धकुंभ का दूसरा शाही स्नान हुआ जिसमें हिस्सा लेने के लिए देश और दुनियाभर से लोग इलाहाबाद पहुँचे.
मौनी अमावस्या के लिए शाही स्नान सुबह से ही शुरू हो गया था और यह क्रम दोपहर बाद चार बजे तक चलता रहा. शाही स्नान के क्रम में आखिरी अखाड़े की बारी क़रीब चार बजे ही आई.
इस मेले के मुख्य स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर, प्रयाग में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर हिन्दू तीर्थ यात्रियों और नगा साधुओं का स्नान अभी भी जारी है.
मेले के मुख्य आयोजक आरएन त्रिपाठी ने बताया कि दोपहर बाद तक लगभग दो करोड़ लोग स्नान कर चुके थे और स्नान का यह सिलसिला देर रात तक जारी रहने की उम्मीद है.
बीबीसी संवाददाता ने बताया कि भीड़ के कारण एक तय मात्रा में ही लोगों को घाटों तक जाने दिया जा रहा है और लाखों की तादाद में लोग अभी भी कुंभ तक पहुँचने की प्रतीक्षा में हैं.
मौनी अमावस्या का स्नान
प्रशासन ने बताया कि इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई है. माना जा रहा है कि मौत का कारण हृदयगति का रुकना है.
वैसे तो तीर्थयात्री आधी रात के बाद से ही स्नान प्रारम्भ कर चुके थे लेकिन मेले में आकर्षण का केंद्र बिंदु नगा साधुओं का स्नान सूर्योदय से कुछ पहले करीब सवा छ: बजे शुरु हुआ.
सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े का जुलूस बैंड बाजे और झण्डों के साथ आया जिसमें प्रमुख संत और महामंडलेश्वर ट्रैक्टरों पर विशेष रुप से बनाए रथों पर सवार थे और उनके सिर के ऊपर छत्र तथा धर्म ध्वज लगे थे.
जुलूस के साथ अखाड़ों के देशी और विदेशी भक्त भी आए और क़रीब दो किलोमीटर लंबे रास्ते पर बल्लियों के पीछे खड़े लोग श्रद्धा से माथा झुकाकर उन्हें प्रणाम कर रहे थे. नंग-धड़ंग नगा साधु हर-हर महादेव के नारे लगाते हुए, दौड़ते हुए गंगाजी में स्नान के लिए कूद पड़े.
साधुओं का व्यवहार बदला
घाट के सामने अरैल की तरफ़ दाहिने किले की तरफ़ और बाँए झूसी की तरफ़ लाखों की तादाद में लोग गंगा स्नान के साथ-साथ नगा साधुओं का शाही स्नान देख रहे थे.
दुनिया भर के पत्रकार और फोटोग्राफर लेखक और साहित्यकार इस दृश्य को कवर करने के लिए मौजूद हैं. नगा साधुओं के व्यवहार में यह बड़ा परिवर्तन दिखाई दिया कि अब वे कैमरा देखकर गुस्सा नहीं करते बल्कि बड़े प्रेम से फ़ोटो खिचवाते हैं और तरह-तरह के करतब दिखाते हैं.
https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2007/01/070119_mauni_amavas.shtml