उप्र बीजेपी की अंदरूनी खींचतान सतह पर

उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में नेतृत्व को लेकर अंदरूनी खींचतान तेज हो गई है.

पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष कलराज मिश्र ने कहा है कि राज्य में बीजेपी को भी बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की तरह अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करके विधानसभा चुनाव में उतरना चाहिए.

उन्होंने कहा, “जनता ज़रूर जानना चाहती है कि समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह, बहुजन समाज पार्टी की मायावती तो बीजेपी का कौन? केन्द्रीय नेतृत्व को ये फैसला करना है.”

ये पूछे जाने पर कि क्या आप भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं, कलराज मिश्र ने जवाब दिया, “राष्ट्रीय नेतृत्व जो भूमिका तय करेगा, करूँगा.”

माना जाता है कि बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राज नाथ सिंह कलराज मिश्र के मुकाबले मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं.

खींचतान

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में राज नाथ सिंह की अच्छी पकड़ मानी जाती है. इसी पकड़ के कारण वो कल्याण सिंह , कलराज मिश्र और लाल जी टंडन को पीछे धकेलकर पहले उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे.

सिंह का क़द इतना बढ़ गया कि एक समय उनके समर्थक उन्हें प्रधानमंत्री पद के योग्य मानने लगे थे.

माना जाता है कि उत्तर प्रदेश में अपना दावा बरकरार रखने के लिए ही राजनाथ सिंह ने कलराज मिश्र और उमा भारती के साथ साथ अपनी भी ड्यूटी उत्तर प्रदेश में लगवाई और यह प्रचार कराया कि असली कमान उन्हीं के हाथ में है.

मगर कलराज और राजनाथ के अलावा भी कई नेता हैं जो मौक़ा आने पर मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. इनमे वरिष्ठ नेता लाल जी टंडन , विधानसभा में बीजेपी नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह , राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय कटियार , पूर्व विधान सभाध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी शामिल हैं.

और मौक़ा मिले तो डाक्टर जोशी भी पीछे नही रहेंगे.

त्रिशंकु विधानसभा?

प्रेक्षकों का कहना है कि बीजेपी की तुलना समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से करना ही गलत है. यह दोनों एक व्यक्ति अथवा परिवार आधारित पार्टियां हैं, जबकि बीजेपी में ऐसा नहीं है.

फिर बीजेपी में असली कमान आरएसएस के पास है. इसलिए बीजेपी में लंबी पंचायत के बाद ही कोई फैसला हो पाता है.

विधान सभा में बीजेपी नेता ओम प्रकाश सिंह कहते हैं कि, “यह पार्टी का आंतरिक मामला है. नेतृत्व के प्रश्न पर मंथन चलता रहता है. जब जैसा समय और आवश्यकता होगी पार्टी नेतृत्व वैसा निर्णय करेगा.”

सिंह ने कहा, “जनता में भाजपा के प्रति सहानुभूति दिख रही है. लेकिन वास्तविक गणित तभी पता चलता है जब चुनाव घोषित होता है.”

प्रेक्षकों का यह भी कहना है कि वर्तमान हालात में यह सोचना भी वास्तविकता से परे है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को बहुमत मिल सकता है और वह सरकार बनाने की स्थिति में होगी. अभी तो बीजेपी और कांग्रेस में तीसरे स्थान की लड़ाई चल रही है.

कई राजनीतिक विश्लेषक त्रिशंकु विधान सभा कि भविष्यवाणी कर रहे हैं.

समीकरण

यह कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद दो समीकरण बन सकते हैं — या तो बीएसपी और बीजेपी मिलकर सरकार बनाएँ या समाजवादी पार्टी और कांग्रेस.

लेकिन कलराज मिश्र ने ज़ोर देकर कहा कि बीजेपी चुनाव से पहले या बाद में किसी पार्टी से तालमेल नही करेगी.

उन्होंने कहा, “भारतीय जनता पार्टी ने तय किया है कि चुनाव से पहले या चुनाव के बाद हम किसी से तालमेल नहीं करेंगे, और इसलिए अगर हमें अवसर मिलता है, सत्ता में आने का बहुमत मिलता है तब हम सत्ता में आयेंगे, अन्यथा किसी के साथ तालमेल करके सरकार नही बनाएंगे.”

दरअसल बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अभी चुनाव से पहले या बाद में संभावित तालमेल घोषित करने का जोखिम नही ले सकतीं, क्योंकि इससे उच्च और मध्यम वर्ग का वह मतदाता भड़क सकता जो माया और मुलायम दोनों को पसंद नहीं करता.

बीजेपी के सूत्र कहते हैं कि यब सब इस बाद पर निर्भर करेगा कि 2014 के लोक सभा चुनाव की दृष्टि पार्टी के लिए सबसे बेहतर विकल्प क्या होगा?

source: https://www.bbc.com/hindi/india/2011/07/110705_up_bjp_kalraj_rj