मुख्यमंत्री मायावती ने मत्स्य विकास और सैनिक कल्याण मंत्री जमुना निषाद का मंत्रिमंडल से तब इस्तीफ़ा लिया था जब उन पर शनिवार की रात अपने समर्थकों के साथ महाराजगंज में एक थाने पर हमले और लूटपाट का आरोप लगा था. इस घटना में एक सिपाही की गोली लगने से मौत हो गई थी.
हालाँकि पूर्व मंत्री निषाद लगातार ये कहते आ रहे हैं कि जब ये घटना हुई तो वे थाने के भीतर मौजूद नहीं थे.
शनिवार को जमुना निषाद अपने उग्र समर्थकों की भीड़ के साथ महाराजगंज थाने तब गए थे जब निषाद समुदाय की एक लड़की के साथ कथित बलात्कार के बाद पुलिस पर मामले के अभियुक्तों के साथ नरमी बरतने के आरोप लग रहे थे.
निषाद समुदाय की गिनती उत्तर प्रदेश के अन्य पिछड़ा वर्ग में होती है. जमुना निषाद अपने समुदाय में काफ़ी लोकप्रिय भी है.
‘पुलिस का ढुलमुल रवैया’
लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अखिल कुमार ने बीबीसी को बताया, “पूर्व मंत्री को महाराजगंज में थाने पर हमला बोलने और वहाँ हुई एक सिपाही की हत्या के सिलसिले में गिरफ़्तार किया गया है. उन्हें लखनऊ की अदालत में पेश कर गोरखपुर भेज दिया जाएगा.”
उधर गोरखपुर से मिल रही खबरों के मुताबिक पुलिस पूर्व मंत्री निषाद के समर्थकों को गिरफ़्तार करने के लिए भी छापे मार रही है. अभी तक 12 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
मामला निषाद समुदाय की एक लड़की के साथ बलात्कार का है और इस समुदाय के लोगों ने अपने नेता से शिकायत की थी कि पुलिस उस मामले में ढुलमुल रवैया अपना रही है.
निषाद समुदाय पुलिस पर आरोप लगा रहा था कि पुलिस ने कथित बलात्कार के मुकदमे की धाराएँ बदलकर उसे छेड़छाड़ का मामला बना दिया था.
जब निषाद के साथ उग्र भीड़ थाने पहुँची तो वहाँ मारपीट और लूटपाट हुई. गोली भी चली और सिपाही कृष्णानंद राय की गोली लगने से मौत हो गई. मुख्यमंत्री मायावती ने इस मामले की मजिस्ट्रेट से जाँच के आदेश दिए हैं चाहे मारे गए सिपाही के परिजन केंद्रीय जाँच ब्यूरो से जाँच की माँग कर रहे हैं.
मामले की गंभीरत को देखते हुए जब मुख्यमंत्री मायावती के आदेश पर दोबारा जाँच हुइ तो प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक बलात्कार होने की पुष्टि हुई.
तीसरे मंत्री पर आरोप
जमुना निषाद मायावती सरकार के ऐसे तीसरे मंत्री हैं जिन पर आपराधिक मामलों में लिप्त होने के आरोप लगने के बाद उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा देना पड़ा है.
इसके अलावा ज़मीन पर अवैध कब्ज़े के आरोप में एक सांसद – उमाकांत यादव को मुख्यमंत्री के निवास से गिरफ़्तार किया जा चुका है.
मुख्यमंत्री मायावती का कहना है कि वे ‘क़ानून के मुताबिक शासन चला रही हैं और किसी अपराधी को बख़्शा नहीं जाएगा.’
उधर उत्तर प्रदेश में विपक्ष के नेता मुलायम सिंह ने आरोप लगाया है कि सरकार में ऐसे 22 मंत्री हैं जिनपर आपराधिक मामले चल रहे हैं. लेकिन उन्होंने इन मामलों और मंत्रियों के बारे में विस्तृत विवरण नहीं दिया है.
ग़ौरतलब है कि मायावती ने पिछला विधानसभा चुनाव राज्य में अपराध कम करने और क़ानून व्यवस्था कायम करने के मुद्दे पर लड़ा था लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि वो अपना वादा पूरा करने में मुश्किलों का सामना कर रही हैं और जद्दोजहद में जुटी हुई हैं.
source: https://www.bbc.com/hindi/regionalnews/story/2008/06/080610_upmin_nishad_arrest.shtml