अशोक सिंघल ने यह बात अयोध्या में बीबीसी से एक विशेष बातचीत में कही.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले में विवादित स्थल को राम जन्मस्थान मान लेने के बाद अशोक सिंघल फिर से राम मंदिर आंदोलन खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं.
विहिप इस मुद्दे पर कांग्रेस से भी नाराज़ है लेकिन उसकी कोशिश है प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर इस मामले पर संसद से क़ानून बनाने की मांग दोबारा उठाई जाए.
इस बीच विहिप के एक प्रमुख कार्यकर्ता त्रिलोकी नाथ पाण्डेय रामलला विराजमान के मित्र के तौर सुप्रीम कोर्ट में अपील भी कर रहे हैं.
क़ानून में देव प्रतिमा नाबलिग मानी जाती है इसलिए उसकी ओर से मित्र की हैसियत से अदालत में पैरवी की जाती है.
हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में विवादित स्थल पर तीन पक्षों राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक़्फ बोर्ड का कब्ज़ा मानते हुए तीनो को ज़मीन देने का आदेश दिया है लेकिन विहिप का कहना है कि उसे यह विभाजन स्वीकार नहीं.
मस्जिद
विहिप की संत उच्चाधिकार समिति ने अयोध्या में हुई अपनी बैठक में केंद्र के कब्ज़े वाली पूरी 70 एकड़ ज़मीन राम मंदिर बनाने के लिए मांगी है और साथ यह भी कहा है कि बाबरी मस्जिद अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा के बाहर बन सकती है.
अशोक सिंघल का कहना है- वह समस्त भूमि भगवान राम की क्रीड़ा भूमि है वहाँ उनके कुल संस्कार हुए इसलिए उस पूरे परिसर में मंदिर ही बनेगा.
एक तिहाई ज़मीन रामानंदी वैष्णव सम्प्रदाय के निर्मोही अखाड़ा को देने के सवाल पर सिंघल का कहना है कि जन्म स्थान पर मालिकाना हक केवल रामलला का है.
सिंघल ने कहा कि विहिप निर्मोही अखाड़ा से बात करेगी और मंदिर के प्रबंध में उनका भी सहयोग लेगी लेकिन जहां तक मंदिर बनाने का काम है वह काम राम जन्म भूमि न्यास ही करेगा.
एक विराट मंदिर बनाने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि न्यास पत्थर निर्माण के काम में लगा है तो निर्मोही अखाड़ा को पुजारी प्रशिक्षित करने के काम में लग जाना चाहिए.
मैंने सवाल किया कि जब एक ओर विहिप उच्चतम न्यायालय जाने की बात कह रहा है और दूसरी ओर वह प्रधान मंत्री से मिलने जा रहे हैं?
उन्होंने जवाब में कहा, “हमने तो कहा है कि दरवाजे खुले हैं अगर कोई रास्ता खुलता है तो कोशिश की जाए और इसीलिए प्रधानमंत्री से मिलने जा रहे हैं.”
अशोक सिंघल के अनुसार मुसलमानों के लिए तो यह एक सामान्य मस्जिद है जबकि हमारे लिए यह आस्था का विषय है. इसलिए मुसलमानों को भी सोचना चाहिए कि अगर आप भावनाओं का आदर नही करेंगे तो संबध कैसे मधुर होंगें.
उन्होंने कहा, “हम तो चाहते हैं कि वह सरयू के उस पार किसी उचित स्थान पर मस्जिद बना लें उनको तो एक मस्जिद ही बनानी है कहीं बना लें.”
क़ानून
यह पूछने पर कि कांग्रेस के कुछ लोगों ने अदालत के निर्णय का स्वागत किया है जिससे समझा जा रहा है कि वे मंदिर मस्जिद अगल-बगल में बनाने के पक्षधर हैं, सिंघल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस झगड़ा लगाना चाहती है.
सिंघल का कहना था कि वह कौन ऐसा सांसद होगा जो राम मंदिर निर्माण नहीं चाहेगा.
उनका दावा है पूर्व प्रधान मंत्री नरसिंहा राव के मन में भी एक भव्य मंदिर की कल्पना थी.
धोखा और व्यभिचार
मैंने फिर सवाल किया- फिर आपके समर्थन से बनी भाजपा सरकार में मंदिर के लिए ज़मीन क्यों नही मिल पाई?
सिंघल ने कहा, “उन लोगों ने कोई प्रयत्न ही नही किया लोगों में आम सहमति बनाने का. वे भागते रहे इस मुद्दे से. प्रयास किया होता तो मेरा मानना है कि मंदिर बन गया होता.”
लेकिन चुनाव में तो उन्होंने इसका फ़ायदा लिया?
मेरे इस सवाल पर विहिप अध्यक्ष भाजपा के प्रति और कटु हो गए और कहा, “देखिए ये उन्होंने बड़ा भारी शोषण किया. उन्होंने आस्था के विषय को सत्ता प्राप्ति का विषय बनाया. मै मानता हूँ ये एक प्रकार से व्यभिचार है अगर उन्होंने आस्था का विषय उठाया था तो आस्था के नाते उनको इसके प्रति समर्पित हो जाना चाहिए था.”
पुरानी बातों की याद करते हुए सिंघल कहने लगे- असल में राम जन्म भूमि मुक्ति आंदालन को शुरू तो कांग्रेस ने किया था, दयाल खन्ना और उन जैसे कुछ दूसरे लोगों ने. बाद में हम लोगों ने इसकी ज़िम्मेदारी ले ली. बाद में आडवाणी जी ने इसे एक पक्षीय बना दिया अपनी रथ यात्रा निकालकर.
उन्होंने आरोप लगाया सत्ता में आने के बाद आडवाणी ने उसे भूला दिया क्योंकि उन्हें राज करना था. उन्होंने सीधे-सीधे इसका राजनीतिक लाभ उठाया.
सिंघल का कहना था जहां जाओ यही सुनने को मिलता था देखिए उन्होंने धोखा दिया है.
source: https://www.bbc.com/hindi/mobile/india/2010/10/101022_singhal_ayodhaya_fma.shtml?&refresh=234319