1974 में जय प्रकाश नारायण ने गुजरात और बिहार में छात्र युवा आंदोलन को नेतृत्व देना स्वीकार किया। बाद में अनेक ग़ैर कांग्रेस विपक्षी दल भी इस आंदोलन में शामिल हुए, जिनको मिलाकर जैन संघर्ष समितियाँ बनीं। लेकिन जे पी ने महसूस किया की विपक्षी दल उनकी विचारधारा तथा सम्पूर्ण क्रांति के लक्ष्य को स्वीकार नहीं करते और वह राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक क्षेत्र में बुनियादी परिवर्तन, चुनाव सुधार आदि में दूर तक साथ नहीं जाएँगे। इसलिए उन्होंने एक निर्दलीय छात्रा युवा संघर्ष वाहिनी का गठन किया और स्वयं वाहिनी नायक बने। लेखक राम दत्त त्रिपाठी वाहिनी के संस्थापक सदस्य और फिर संयोजक रहे।

Ram Dutt Tripathi Journalist & Legal Consultant