कोराना काल में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का जनता दरबार बंद कर दिया गया। इससे फरियादियों की शामत है। वे अपने कष्टों के निराकरण के लिए लखनऊ की सड़कों पर भटक रहे हैं। इन फरियादियों की आवाज मुख्यमंत्री तक पहुँचाने के लिए मीडिया स्वराज ने सुनो सरकार शो शुरू किया ...
Read More »समाजवादी पार्टी ने अगले विधान सभा चुनाव की तैयारियाँ शुरू की
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव-2022 के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने एक विज्ञप्ति में बताया कि आम चुनाव हेतु सम्भावित प्रत्याशियों से आवेदन पत्र आमंत्रित किए जा रहे हैं। आवेदन 19 अक्टूबर 2020 ...
Read More »श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक पर अदालत ने मंजूर की याचिका
श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक़ के मामले में मथुरा की अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली है। जिला जज मथुरा की अदालत ने सुन्नी वक्फ बोर्ड समेत सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सम सामयिक चर्चा के इस शो में बीबीसी के पूर्व संवाददाता राम दत्त त्रिपाठी ...
Read More »लाइमलाइट शो में गन्ना आयुक्त ने माफियाओं पर यह कह दिया
उत्तर प्रदेश की सहकारी गन्ना समितियॉं अब चीनी रखने के लिए अपना भंडार घर बनायेंगी। इसके अलावा गन्ना किसानों में पर्ची वितरण से माफिया का सफाया होगा। गन्ना किसानों के मुद्दे पर राज्य के गन्ना आयुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव चीनी उद्योग संजय भूल रेड्डी से राम दत्त त्रिपाठी की ...
Read More »योगी राज में क़ानून व्यवस्था
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Read More »भाजपा नेता ने बलिया में मजिस्ट्रेट और पुलिस के सामने विरोधी की हत्या की
मुख्यमंत्री ने योगी ने एसडी एम और पुलिस अफ़सरों को निलम्बित किया (मीडिया स्वराज़ प्रतिनिधि ) सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का एक स्थानीय नेता वृहस्पतिवार को पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों के सामने ही अपने विरोधी को गोलियों से भूनकर फ़रार हो गया. मृतक ...
Read More »बाबरी केस – कौन जीता, कौन हारा
बाबरी केस में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला देते हुए सभी जीवित 32 आरोपितों को बरी कर दिया। अदालत ने यह भी कहा कि घटना सुनियोजित नहीं थी बल्कि अचानक घटी थी। इस फैसले पर बीबीसी ने एक परिचर्चा की जिसमें वरिष्ठ पत्रकार राम दत्त त्रिपाठी, सारिका सिंह, ...
Read More »THE RDT SHOW : हाथरस कांड सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुँचा?
THE RDT SHOW शो में बीबीसी के पूर्व संवाददाता राम दत्त त्रिपाठी सम सामयिक विषयों पर चर्चा करते हैं. उनसे बात करते हैं जनादेश के सम्पादक अम्बरीश कुमार. रोज़ रात साढ़े नौ बजे. आज के विशेष मेहमान सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट एस जी हसनैन. Related Images: [See image gallery at ...
Read More »THE RDT SHOW
इस शो में बीबीसी के पूर्व संवाददाता राम दत्त त्रिपाठी सम सामयिक विषयों पर चर्चा करते हैं. उनसे बात करते हैं जनादेश के सम्पादक अम्बरीश कुमार. रोज़ रात साढ़े नौ बजे. Related Images: [See image gallery at mediaswaraj.com] The post THE RDT SHOW appeared first on Media Swaraj | मीडिया ...
Read More »बाबरी विध्वंस : सुप्रीम कोर्ट, लिब्रहान और सेशंस कोर्ट के निष्कर्ष में अंतर क्यों?
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सेशंस कोर्ट ने पिछले हफ़्ते सभी अभियुक्तों को बाइज़्ज़त बरी कर दिया . अदालत ने कहा यह घटना सुनियोजित नहीं थी . अदालत ने इस कांड के लिए अराजक तत्वों को ज़िम्मेदार बताया. लाल कृष्ण आडवाणी के बारे में अदालत ने कहा कि वह मस्जिद को बचाने की कोशिश कर रहे थे जबकि वह बाबरी मस्जिद के ख़िलाफ़ आंदोलन के अगुआ थे . इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में इसे आपराधिक कृत्य बताया था और जस्टिस लिब्रहान जॉंच आयोग ने सुनियोजित षड्यंत्र. पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार राम दत्त त्रिपाठी का विश्लेषण. छह दिसम्बर बानवे को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस कुछ अराजक तत्वों द्वारा अचानक हुई घटना थी अथवा यह की सालों के सुनियोजित और संगठित प्रयास का परिणाम था? इतिहास में यह सवाल हमेशा पूछा जाएगा. हमारे वेदों में कहा है कि सत्य का मुख सोने के पात्र से ढका हुआ होता है. सत्य की खोज श्रमसाध्य एवं अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है. सत्य अलग अलग कोण से अलग दिखता और देखने वाले की नज़र से भी. बाबरी मस्जिद बनाम राम जन्मभूमि प्रकरण में मैं एक दर्शक रहा हूँ. चालीस साल से प्रत्यक्ष और उसके पहले का फ़ाइलों और पुस्तकों के ज़रिए. वास्तव में यह कहानी दिसम्बर उनचास से शुरू होती है, जब रात में पुलिस के पहरे में मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियाँ प्रकट हुईं. अथवा जैसा कि पुलिस रपट में है कि चोरी से रखकर मस्जिद को अपवित्र कर दिया गया. एक धर्म के लोगों द्वारा जबरन दूसरे धर्म के प्रार्थना गृह में क़ब्ज़ा. लेकिन सी बी आई उतना पीछे नहीं गयी. सी बी आई की कहानी पिछले शिलान्यास के आसपास शुरू होती है. चार्जशीट में उल्लेख किया गया कि हाईकोर्ट ने 14 अगस्त 1989 और फिर 7 नवम्बर 1989 को विवादित राम जन्म भूमि परिसर में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था, जो छह दिसम्बर 1992 तक जारी था. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने के पक्ष में समर्थन जुटाने और आंदोलन चलाने के लिए सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा शुरू की. 1 अक्टूबर 1990 को शिव सेना अध्यक्ष बाल ठाकरे ने मुंबई में श्री आडवाणी का स्वागत किया और उन्होंने वहाँ की जन सभा में यह संकल्प दोहराया. इसके बाद जून 1991 में भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में सत्ता में आ गयी. मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने पूरे मंत्रिमंडल और डा मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या में राम जन्म भूमि का दर्शन कर वहीं मंदिर निर्माण का संकल्प लिया. 17 जुलाई 1991 को शिव सेना सांसद मोरेश्वर सावे ने कल्याण सिंह को पत्र लिखकर राम मंदिर निर्माण तत्काल शुरू करने की बात कही. जवाब में कल्याण सिंह ने 31 जुलाई को पात्र लिखकर कहा कि ज़रूरी कार्यवाही हो रही है. इसके बाद कल्याण सरकार ने वहाँ मस्जिद के सामने ज़मीन और कई मंदिर अधिग्रहीत कर हाइवे से चौड़ी सड़क बनवायी. साथ ही कांग्रेस सरकार द्वारा बगल में राम कथा पार्क के लिए अधिग्रहीत 42 एकड़ ज़मीन विश्व हिंदू परिषद को दे दी. देश भर से आए कार सेवकों को छह दिसम्बर को तम्बू कनात लगाकर यहीं टिकाया गया. यहीं पर लाठी डंडों से लैस कार सेवकों ने पाँच दिसम्बर को रस्सियों, कुदाल और फावड़े टीले पर मस्जिद गिराने का रिहर्सल किया. इस तरह सीबीआई के मुताबिक़ बाबरी मस्जिद को गिराने का यह लम्बे समय से चला आ रहा सुनियोजित षडयंत्र था ,जिसमें संघ परिवार के विभिन्न संगठनों के अलावा शिव सेना के बड़े नेता शामिल थे. सीबीआई ने अपनी चार्जशीट 5 अक्टूबर 1993 को पेश कर दी. अयोध्या प्रकरण के लिए गठित स्पेशल सेशंस कोर्ट के जज जगदीश प्रसाद श्रीवास्तव ने 9 सितम्बर 1997 को अभियुक्तों के ख़िलाफ़ चार्ज फ़्रेम किए. जज में अपने आदेश में रिकार्ड किया कि, “ पाँच दिसम्बर को श्री विनय कटियार के निवास पर गुप्त बैठक हुई, जिसमें श्री एल के आडवाणी, डा मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार और पवन पांडेय ने भाग लिया और उसमें विवादित ढाँचा को गिराने का निर्णय लिया गया. “ इसी आदेश के अनुसार , “195 कम्पनी केंद्रीय पैरामिलिटरी फ़ोर्स फ़ैज़ाबाद में केंद्रीय सरकार द्वारा राज्य सरकार के क़ानून व्यवस्था बनाए रखने हेतु मदद हेतु भेजी गयी लेकिन उनका भारतीय जनता पार्टी सरकार ने उपयोग नहीं किया. जबकि दिनांक 5 -12-92 को मुख्य सचिव गृह उ प्र सरकार ने केंद्रीय बाल के प्रयोग के लिए सुझाव दिया, लेकिन श्री कल्याण सिंह इससे सहमत नहीं हुए.” अभियुक्तों ने आरोप तय करने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीज़न पेटिशन फ़ाइल की. यहाँ यह उल्लेख करना ज़रूरी है कि छह दिसम्बर को बाबरी मस्जिद ढहने के बाद अयोध्या में पुलिस ने दो मुक़दमे दर्ज किए थे. एक लाखों अज्ञात कारसेवकों के ख़िलाफ़ मस्जिद तोड़ने के षड्यंत्र , बलवा, लूटपाट आदि अनेक अपराधों के लिए और दूसरा धार्मिक उन्माद और कारसेवकों को भड़काने वाले भाषण देने के लिए. इसके अलावा 47 और मुक़दमे पत्रकारों पर हमले आदि के लिए. सीबीआई ने इन सबकी एक संयुक्त चार्जशीट दाखिल की थी. सीबीआई के मुताबिक़ 1 अक्टूबर 1990 को रथयात्रा के बाद सारी सभाएँ, भाषण और छह दिसम्बर को हुई समस्त घटनाएँ आपस में जुड़ी हैं और एक ही षड्यंत्र का हिस्सा हैं. स्पेशल कोर्ट ने इसी संयुक्त चार्जशीट के आधार पर आरोप निर्धारित किए थे. भड़काऊ भाषण वाले मामले में आडवाणी समेत आठों अभियुक्त पहले ही गिरफ़्तार हो गए थे. इन लोगों को ललितपुर के माताटीला बांध गेस्ट हाउस में रखा गया था. ललितपुर में स्पेशल कोर्ट बनाकर मुक़दमा शुरू हुआ था. बाद में यह केस रायबरेली ट्रांसफ़र हो गया. सीबीआई ने कोर्ट से अनुमति लेकर इस केस को भी अन्य मामलों के साथ जोड़ लिया था. राज्य सरकार ने हाई कोर्ट से परामर्श किए बिना लखनऊ की स्पेशल कोर्ट की अधिसूचना संशोधित कर इस मामले को भी अयोध्या प्रकरण वाली लखनऊ की स्पेशल कोर्ट को दे दिया था. ...
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